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मन में लिए घूमते हैं रावण को सभी
बस मुंह से निकलते नाम राम के
पापी सब छुपे हैं अच्छाई के ढाल मैं
तभी लोग पुतले जलाते रावण के
दशहरे का पावन पर्व सत्य की जीत का सन्देश दे रहा हैं,
बुराई का दशानन अच्छाई की अग्नि में विध्वंस हो रहा हैं,
प्रभु श्रीराम के आचरण और इस पर्व के सन्देश को अपनाएँ।1
इसी के साथ दशहरा पर्व की हजारो-हजार शुभकामनायें।
कुछ लड़कियां दशहरा मैदान पर
चेहरे पर दुपट्टा लगा कर आई थी
पता नहीं किस रावण से चेहरा छुपा रही थी
त्रेता की सीता को तो राम ने बचाया
पर कलियुग की सीता का क्या ?
कब तक बचती रहेगी ?
रावण तो जिंदा है हर इक मन में
वो तो मर के भी अमर हो गया ।
पर उस त्रेता के रावण की भी एक मर्यादा थी
इस कलियुग के रावण की मर्यादा का क्या ?
संकटों का तम घनेरा
हो न आकुल मन ये तेरा
संकटों के तम छटेंगें
होगा फिर सुंदर सवेरा
मुबारक हो आपको दशहरा
हवस कुछ इस कदर भरी है
आज के इंसान में
सीता का हरण करने वाला रावण भी
मुझे अब भगवान दिखने लगा है
मुझे इंसान के सामने
आज की नई सुबह इतनी सुहानी हो जाए
आपके दुखों की सारी बातें पुरानी हो जाएं
दे जाए इतनी खुशियां ये दशहरा आपको
कि ख़ुशी भी आपके मुस्कुराहट की दीवानी हो जाएं
आपको और आपके परिवार को दशहरा की बहुत-बहुत शुभकामनायें
लोग तो बेवजह रावण को बुरा केहते हैं!
यहाँ तो हर शख्स राम के मुखौटे पहनें
अपने अंदर एक रावण छुपा बैठे हैं!! 😈😑
आज फिर रावण जला
आज फिर राम जीता,
फिर भी ना जाने क्यु..
भयभीत है सीता!
राम की पोशाक पहने
रावण है घर घर जीता,
कैसे बचेगी लाज सिया की
इसी सोच में डूबी भयभीत है सीता!
दशहरे का यह पावन त्यौहार,
घर में लाये आपके खुशियां अपार,
श्री राम जी करें आप पर खुशियों की बौछार,
ऐसी शुभकामनाएं हमारी करो स्वीकार।
दशहरा एवं विजयादशमी की हार्दिक शुभकामनाएं
अधर्मी रावन नहीं उसकी सोच थी,
अधर्मी कंस नहीं उसकी सोच थी,
अधर्मी हम नहीं हमारी सोच है
भूल जाते है इस धर्म को,
दफ़ना देते है इस इंसानियत को।
क्या सोचते है वो लोग,जो अत्याचार करते है,
क्या करते है वो लोग,जो अत्याचार देखते है,
इंसान ही अपनी औकात भूल गया है,
खुद ही अपने को पाताल में झोक रहा है।
किन्तु कदाचित वो भूल गए, कि
रावन जैसा भक्त भी मारा गया
तो हम किस खेत की मूली है।।
करते हो तुम बात रावण की तो मैं भी कुछ सुनाती हूँ,
ऐसा भाई सबको मिले यही बार बार मैं दोहराती हूँ,
जो ना करते अपने धोखा तो क्या होता ये तुम भी जानते हो,
नही मरता वो दशानन राम के हाथों,
ये तुम भी मानते हो।
जो करे अपनो से धोखा,
ना इसा कोई साथी चाहिए।
मेरी बस एक ही इच्छा है,
इस कलयुग की रामायण मे मुझे रावण जैसा भाई चाहिए।
मैं करु अपने मन की उसपर तुम रोक लगाते हो,
जो खेल रहे बेटियों की इज्ज़त के साथ उनका कुछ नही कर पाते हो,
कलयुग के राम की तुलना मे वो सतयुग का रावण ही भला था।
करता था सब बोल के अपने इरादों का सच्चा था।
जो काटे इन दरिंदो का गला,
ऐसा कोई कसाई चाहिए।
मेरी बस एक ही इच्छा है,
इस कलयुग की रामायण मे मुझे रावण जैसा भाई चाहिए।
हा थे वो मर्यादा पुरुषोत्तम, जिन्होंने रावण का संहार किया,
पर जुसके लिए युद्ध किया फिर उसी पर शक किया,
उनको प्यारी थी समाज की मर्यादा
इसलिए सीता को वनवास दिया।
ना मैं सीता और ना ही तुम राम हो,
मुझे ना ऐसा कोई हमराही चाहिए।
मेरी बस एक ही इच्छा है,
इस कलयुग की रामायण मे मुझे रावण जैसा भाई चाहिए।
चलो मान लिया गलती थी शूपर्णखा की,
जो उसने राम-सिया का वियोग चाहा।
लेकिन नाक काट उसको अपमानित कर,
लक्षमण ने क्या दर्शाना चाहा।
जो रखे अपने क्रोध पर काबू, यही सब मे अच्छाई चाहिए।
मेरी बस एक इच्छा है,
इस कलयुग की रामायण मे मुझे रावण जैसा भाई चाहिए।
हा रावण का तरीका गलत था,
उसने जो सीता के साथ किया वो सलीका गलत था।
पर आज के जो राम कर रहे है उनसे वो बेहतर नही था?
ना छुआ उसने सीता को उनकी रज़ामन्दी के बिना,
यही सब मे मानवताइ चाहिए।
मेरी बस एक इच्छा है,
इस कलयुग की रामायण मे मुझे रावण जैसा भाई चाहिए।
– Ruchika Sharma