चारों वेदों का ज्ञान रखने वाला
“रावण” एक ब्राह्मण था..
लेकिन हम आज भी उसे अधर्मी कहते है
और उसे आज भी हर दशहरे को अधर्म पर धर्म की जीत पर जलाते है..
हम ग़लत को ग़लत ..
धर्म देख कर नहीं कहते!
ना सह सका जो अपनी बहन का अपमान,
था जिसे चारो वेदो का ज्ञान,
भाई कुम्भकरण और बेटा मेघनाथ,
सोचो क्यों नहीं होता उसका सम्मान..।।
ये Corona तो रावण का भी बाप निकला रे
सारे मंदिर बंद करवा दिये इसने
हे प्रभु बचा ले रे बाबा
जय श्रीराम
करने बुराई का नाश
जगाने दिलों में अच्छाई का एहसास
प्रेम और सत्य का राह दिखाने
आ गया है दशहरे का ये त्यौहार
दशहरे की शुभ कामनायें
रावण हु मे इस लोक का,
चेले मेरे गंध फैलाए।
मे भी शिव शम्भू का दास हु,
जो दस सिर काट कर दिखलाऐ ।।
बनाते भी तुम हो,
जलाते भी तुम हो,
था मैं विद्वान
बताते भी तुम हो,
न जाने ये सिलसिला
कबतक चलेगा,
रावण द्वारा पुतला ,
कबतक जलेगा,
वो जो आया है,
आज राम बनकर,
हाथो में बान,
ऒर सीना तनके,
सच मे क्या वो पुरषोत्तम है,
नही है तो क्यों वो मुझको जलता है,
हु मैं बुरा ओर वो अच्छा बतलाता है,
जलाना है तो बुराई जलाओ,
मिटाना है तो बुराई मिटाओ,
यू भीड़ लगाने से क्या फायदा,
गर एक रावण हर ले अब भी बेटी,
तो रावण जलाने से क्या फायदा,
दशहरा मनाने से क्या फायदा।
-AKASH SINGH